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सुसाइड से जुड़े कुछ मिथक और अनुचित धारणाओं के बजाय सही जानकारी प्राप्त करें।
‘क्या आप सुसाइड के बारे मेें सोच रहे हैैं’, किसी से सिर्फ़ ऐसा पूछने से क्या उनके मन में ऐसे विचार आ सकते हैैं?
जिन लोगों को सुसाइड के विचार आते हैैं या जिनकी मृत्यु सुसाइड के कारण होती है, क्या वे मानसिक रूप से अस्वस्थ होते हैैं?
जिन व्यक्तियों को सुसाइड के विचार आते हैैं, वो मदद मांगने के लिए हाथ क्यों नहीं बढ़़ाते हैैं?
क्या सुसाइड का प्रयास इस बात का प्रतीक है कि कोई व्यक्ति अपनी समस्याओं का सामना करने में कमज़़ोर या कायर है?
जिन्हें सुसाइड के विचार आते हैैं, क्या वे मरने का पक्का संकल्प कर चुके हैैं?
क्या सुसाइड का प्रयास भारत मेें कानून द्वारा दंडनीय है?
युवाओं में सुसाइड को रोकने के लिए हम क्या कर सकते हैैं?
नहीं, सुसाइड के बारे मेें बात करने से किसी को अपनी जान लेने की प्रेरणा नहीं मिलती है। जो लोग सुसाइड के बारे में सोच रहे हैैं, उन्हें शायद पता नहीं कि किस से बात करनी है या वो चिंतित होते हैैं कि लोग उनके बारे में गलत धारणा बनाएँगे। इसके बारे मेें खुल कर बात करने से, सुसाइड की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन देने की जगह उलटे उस व्यक्ति को अपनी भावनाओं के बारे में साफ़-साफ़ बात करने का मौका मिलता है। साथ ही, उन्हें अपने निर्णय के बारे मेें दोबारा सोचने का समय मिलता है, जिससे सुसाइड रुक जाता है।
मानसिक अस्वस्थता के साथ जी रहे बहुत से लोग सुसाइड के विचारों का अनुभव नहीं करते हैैं, और वो सभी लोग मानसिक रूप से अस्वस्थ नहीं होते हैैं जो सुसाइड का प्रयास करते हैैं या जिनकी मृत्यु सुसाइड के कारण होती है। भारत मेें, रिश्ते-नातों से संबंधित तनाव, सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक विषय युवाओं मेें सुसाइड के मुख्य कारण हैैं।
जिस व्यक्ति को सुसाइड के विचार आते हैैं, यह संभव है कि वे बहुत निराश और असहाय महसूस कर रहे हों, जिसकी वजह से उनके लिए मदद माँगना मुश्किल हो जाता है। उन्हें यह भी डर हो सकता है कि शायद मदद के लिए हाथ बढ़़ाने से कोई फायदा न हो क्योंकि लोग उनके बारे मेें गलत धारणाएं बनाएँगे और उनके अनुभवों को समझ नहीं पाएंगे। सुसाइड की घटनाओं के आस-पास चुप्पी और कलंक का माहौल इसे और भी मुश्किल बना देता है। इसलिए, जब आपको किसी व्यक्ति मेें ऐसे चेतावनी के संकेत दिखेें तब सहायता देने के लिए आगे बढ़ना ज़रूरी है।
सुसाइड के विचारों का अनुभव या प्रयास करने की इच्छा किसी कमज़़ोरी या कायरता का संकेत नहीं है। जो लोग सुसाइड का प्रयास करते हैैं वो बहुत तनाव मेें होते हैैं और उनके पास शायद मदद या देखभाल के साधन उपलब्ध नहीं होते है। इसके अलावा, उनके पास शायद अपने तनाव को खुद संभालने के संसाधन भी मौजूद नहीं होते।
जो लोग सुसाइड के विचारों का अनुभव करते हैैं वे अक्सर जीने या मरने के बारे में अनिश्चित होते हैैं। सुसाइड के विचारों वाले लक्षण, एक बहुत गहरे भावनात्मक दर्द का संकेत हैैं। जो व्यक्ति अपनी जिंदगी को ख़त्म करने के बारे में सोच रहा हो, उसे इस दर्द भरी परिस्थिति से बाहर आने का रास्ता देखने में शायद मुश्किल होगी। इसके बावजूद, पर्याप्त मदद के साथ, वो अपनी सुसाइड की भावनाओं पर जीत हासिल करना चाहेंगे या अपनी परिस्थिति से सामना करने के तरीके ढूंढना चाहेंगे। इसलिए, सही समय पर सही प्रकार की सहायता देना बहुत ज़रूरी है, ताकि उस व्यक्ति को इन विचारों पर अमल करने से रोका जा सके ।
सुसाइड का प्रयास दंडनीय अपराध नहीं है। भारत के मानसिक स्वास्थ्य देख-रेख अधिनियम 2017 ने, गंभीर तनाव के कारण किए जाने वाले सुसाइड के प्रयास को अपराध मुक्त (डीक्रिमिनलाइज़) कर दिया है। यह इस बात को मान्यता देता है कि जो लोग सुसाइड क्या प्रयास करते हैैं या सुसाइड के कारण जिनकी मृत्यु होती हैैं, वे बहुत अधिक तनाव में होते हैैं। इस अधिनियम में उन लोगों के लिए देखभाल, इलाज और पुनरवास (रिहैबिलिटेशन) का प्रावधान भी है जिन्होंने सुसाइड का प्रयास किया है। जो लोग अधिक तनाव के कारण सुसाइड का प्रयास करते हैैं, उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती।
हर व्यक्ति एक बदलाव ला सकता है और सुसाइड को रोकने में अपना योगदान दे सकता है। यहां पर कुछ तरीके दिए गए हैैं जिनसे उन लोगों की मदद की जा सकती है जो सुसाइड के विचारों के साथ संघर्ष कर रहे हैैं:
संकेत चिन्हों को पहचानेें: आप चेतावनी के चिन्हों और जोखिम के कारकों के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैैं। इससे आपको पता चलेगा कि जब आपके प्रियजन संघर्ष कर रहे हों, तब किन बातों से सावधान रहना है।
पूछे और सुने: किसी से यह पूछने के लिए कि क्या वे सुसाइड के बारे में सोच रहे हैैं और उनकी बाते सुनने के लिए आपको विशेषज्ञ होने की ज़रूरत नहीं है। जो लोग संघर्ष कर रहे हैैं, उनकी ओर मदद का हाथ बढ़़ाने से उनकी जान बच सकती है और उनमेें आशा की किरण जाग सकती है।
आशा का संदेश फैलाएं: ऐसी जानकारी शेयर करें जो इस बात पर रोशनी डालती है कि सुसाइड को रोका जा सकता है और सहायता उपलब्ध है।
उपयोगी जानकारी और संसाधनों को शेयर करें: आप संकेत चिन्हों और रोकथाम की नीतियों के बारे में जानकारी शेयर कर सकते हैैं। इससे उन लोगों को शक्ति मिलेगी जो ऐसी परिस्थितियों में हैैं जहां वे असहाय महसूस करते हैैं। जो सहायता सेवाएं उपलब्ध हैैं, आप उनकी जानकारी भी दे सकते हैैं।
अपनी कहानी शेयर करें: आप खुद के अनुभव शेयर कर सकते हैैं जहां आपने सुसाइड के विचारों और भावनाओं पर विजय पाई। इससे दूसरों को अपनी भावनाओं और सोच के बारे में खुलकर बात करने की प्रेरणा मिलेगी, और वो मदद मांगने के लिए आगे आएंगे।
स्वयंसेवा के लिए समय दें: आप हमारे सुसाइड की रोकथाम मिशन के लिए अपनी इच्छा से समय देकर, जागरूकता फैलाने और सुसाइड से संबंधित कलंक को दूर करने का काम कर सकते हैैं।
फीडबैक हमें सभी के लिए अनुभव को बेहतर बनाने के लिए अपनी सामग्री और संसाधनों को बेहतर बनाने में मदद करता है।